शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नूतन वर्ष

लहरों को ठेंगा दिखलाकर , कश्ती को बीच समन्दर में ला|
खुद पर रख काबू , मन के सभी अविश्वास जला |
खुद से किये वादे तू बड़ी शिद्दत से निभा |
आज तू फिर जाग जा ,फिर से नूतन वर्ष मना||

प्रतिद्वंदी दूंढ़ तू खुद से बडा और उससे तू 'race' लगा |
टालमटोल को टाल दे, कशमकश को आग लगा|
मेहनत कर लक्ष्य को पाने में , माथे से पसीना ज़रा टपका|
आज तू फिर जाग जा ,फिर से नूतन वर्ष मना||
............................................ललित शर्मा