सोमवार, 27 जून 2011

आज मैं आप लोगो को अपने कुछ अनुभव बताता हु|लोग कहते थे वो zues(जूस) का बेटा था,उसने सारे संसार को जीता और वो विश्वविजेता कहलाया और लोगों ने उसे महान सिकंदर कहा|फिर उसकी विश्वविजेता सेना विदद्रोह कर बैठी और उसे भारत से जाना पड़ा परन्तु वह भारत फ़तह करने मे नाकाम रहा|फिर वो बेबीलोन गया जहाँ उसकी और उसके परम मित्र हिपॅस्टीन की मत्यु हो गयी|
ये कहानी बड़ी प्रेरणादायी और कई मामलो मे रोचक है|ये पूरी कहानी सिकंदर महान की नियति बताती है यानी एक महान वीर लड़ाका जिसने कई युधया जीते थे वो भी नियति के हाथो मजबूर और लाचार था| ना केवल उसे अपना प्रिय मित्र खोना पड़ा अपितु उसे पित्रहन्ता समझा गया|उसे कम उम्र मे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और ना ही उसका कोई रक्त वारिस उसके साम्राज्या पे आरूढ़ हुया|
शायद यही नियति होती है जो हर इंसान के साथ चलती है और हर इंसान को अपनी नियति भुगतनी ही पड़ती है|नियति को शायद कर्म करने से भी बदला नही जा सकता|यहा तक कृष्ण को भी अपनी नियति भोगनी पड़ी ,उसके कुल का नाश होगे और वो भी साधारण व्याधर के द्वारा मारा गया|
अब बारी है भाग्य की,भाग्य कुछ नही बस हमे मिलने वाले अवसर है जिन्हे अपने जीवन मे उतरना हमारा कर्म|भाग्य बदला जा सकता है बशर्ते अच्छा कर्म किया जाए|अगर हमारा आचार और विचार अच्छा व शुधया रहे तो भाग्य अच्छा रहता है|कुछ बुनियादी बाते जो निष्तेज़ भाग्य को भी सूर्य के समान तेज़ोमय कर देती है-:
१.) Healthy Living(जीवनशैली मे ना केवल कुछ सकारात्मक उर्जा का समावेश होना चाहिए अपितु व्यायाम और संतुलित आहार होना चाहिए )
२.) सही मित्रो का चुनाव|
३.) काम करने की ढृढ इच्छाशक्ति|
४.) व्यवहार मे नम्रता|
५.) कर्म की शुधयता
अतः नियति आप बदल नई सकते पर भाग्य निर्धारण कर सकते है|
                                                             धन्यवाद|