अब मैं दिल-ए-जुस्तजू करूँ तो करूँ कैसे ,अभी जल रही है शमा तेरे इश्क की मेरे दिल में|
रहने दे ऐ यार मुझे अब रुखसत करदे,बेमानी है ज़िन्दगी मेरी अब इस घर में|
यूँ तो बियावान है दिल मेरा,पर कोई पल्लव खिल रहा है तेरी मोहब्बत का मेरे आँगन में|
नज़्म भी अधूरी रहती है मेरी ,अब तेरे जिक्र के बिना,आ दफना दे मेरे जज़्बात मेरे दिल में|
अब मैं दिल-ए-जुस्तजू करूँ तो करूँ कैसे.....
-ललित शर्मा